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लंदन के रहने वाले स्टीव वर्जी (Steve Verze) जब 20 साल के थे तब उनकी बाईं आंख की दृष्टि चली गई थी. तब से वो प्रॉस्थेटिक्स (Prosthetic Eyes) का इस्तेमाल करते थे. जिसे हर 5 साल बाद बदलना पड़ता था. तब से स्टीव प्रॉस्थेटिक्स आंखों के साथ गुजारा कर रहे हैं. 40 साल के हो चुके स्टीव अपनी प्रॉस्थेटिक आंखों को लेकर बहुत ज्यादा कॉन्शियस रहते थे. उन्हें अपनी आंखों को शीशे में देखकर शर्मिंदगी महसूस होती थी. इसलिए वो सबके सामने बहुत देर तक खड़े नहीं हो पाते थे. अब उन्हें 3डी प्रिंटिंग तकनीक से आईबॉल (3D Printing Eyeball) मिल चुकी है.
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